आइये आज हम उत्प्लावकता एवं आर्किमिडीज नियम (Bouyancy And Archimedes Principle) के बारें में अध्ययन करेंगे
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तरल (Fluid)
जो पदार्थ बहते हैं उन्हें तरल कहते हैं।
उत्प्लावकता (Bouyancy)
किसी द्रव अथवा तरल में जब एक वस्तु को पूर्णतया अथवा आंशिक रूप से डुबोते हैं तो वह ऊपर की दिशा में एक बल अनुभव करती है। इस बल को उत्प्लावक बल एवं द्रव अथवा तरल के इस गुण को उत्प्लावकता कहते हैं। उत्प्लावकता सभी द्रव या तरल पदार्थों का एक सार्वत्रिक लक्षण है।
आर्किमिडीज का नियम
जब कोई वस्तु किसी द्रव अथवा तरल में पूर्णरूपेण अथवा आंशिक रूप से डुबोई जाती है तो (ऊपर की दिशा में) वह एक उत्प्लावक बल अनुभव करती है, जिसका मान विस्थापित द्रव अथवा तरल ‘ के भार के बराबर होता है।
उत्प्लावक बल वस्तु विशेष द्वारा विस्थापित तरल के भार के बराबर होता है। यदि वस्तु का आयतन v द्रव में निमग्न है तथा तरल का घनत्व d है, तो
उत्प्लावक बल F =v d g
उत्प्लावक बल के संबंध में निम्न बातें ध्यान रखने योग्य हैं-
एक तरल में जिसका विविध गहराइयों पर घनत्व समान है, उत्प्लावक बल सभी गहराइयों पर समान होता है।
तरल में निमग्न वस्तु पर उत्प्लावक बल उसके आकार ( आयतन ) पर निर्भर होता है। अतः उत्प्लावक बल वस्तु के आयतन का समानुपाती (Proportional) होता है।
किसी वस्तु पर उत्प्लावक बल तरल के घनत्व पर निर्भर करता है एवं उसके घनत्व का समानुपाती होता है। परन्तु पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर नहीं करता। समान आकार की दो वस्तुओं पर, जो अलग-अलग पदार्थों की बनी है, समान उत्प्लावक बल कार्यकारी होते हैं।
जब किसी वस्तु को पूर्णरूपेण अथवा आंशिक रूप से किसी द्रव अथवा पानी में डुबोया जाता है तो उसके भार में कमी हो जाती है और यह कभी उसके द्वारा विस्थापित द्रव(तरल) के भार के बराबर होती है।
Bouyancy And Archimedes Principle
प्लवन नियम (Law of Floating)
द्रव में तैरती हुई किसी वस्तु का भार सदैव द्रव में निमग्न भाग द्वारा विस्थापित द्रव के भार के बराबर होता है। द्रव का घनत्व जितना अधिक होगा, उतना ही किसी भी वस्तु द्वारा विस्थापित द्रव का आयतन कम होगा अर्थात् वह द्रव में कम डूबेगी। यही कारण है कि जब जहाज नदी के स्वच्छ पानी (आपेक्षिक घनत्व 1.0) से समुद्र के खारे पानी (आपेक्षिक घनत्व 1.2) में प्रवेश करता है तो वह कुछ ऊपर उठ जाता है अर्थात् उसका अपेक्षाकृत कम भाग पानी के भीतर रहता है। इसका अर्थ यह है कि किसी जहाज की भार ले जाने की क्षमता समुद्र के पानी में अधिक होती है।
इसी प्रकार जब गुब्बारा फूली हुई अवस्था में होता है तो (गैस सहित) उसका भार विस्थापित वायु के भार से कम होने के कारण वह ऊपर की दिशा में त्वरित होता है तथा गुब्बारा एक ऐसी ऊँचाई पर जाकर तैरने लगता है, जहाँ पर विस्थापित वायु का भार उसके भार के बराबर हो जाता है।
एक वस्तु जो पानी में निमग्न है उस पर दो बल कार्यरत हैं – (अ) वस्तु का भार (W) नीचे की ओर (ब) उत्प्लावक बल (F) ऊपर की ओर
(i) यदि W > F तो मुक्त करने पर वस्तु नीचे की ओर त्वरित होगी तथा पैंदे पर जाकर बैठ जायेगी।
(ii) यदि W = F तो वस्तु उसी स्थान पर तैरती रहेगी।
(iii) यदि W<F तो वस्तु ऊपर की दिशा में त्वरित होगी एवं सतह पर तैरने लगेगी। सतह पर तैरने की अवस्था में उसका कुछ भाग पानी में डूबा रहेगा एवं कुछ सतह के बाहर रहेगा।
वस्तु का औसत घनत्व एवं प्लवन नियम
किसी भी द्रव की सतह पर प्लवित (तैरती) वस्तु का औसत घनत्व द्रव के घनत्व कम होता है। यदि वस्तु पूर्णतया निमग्न अवस्था में प्लवित है तो उसका औसत घनत्व द्रव के घनत्व से ठीक बराबर होगा।
एक पीतल का कटोरा पानी पर तैरता है यद्यपि पीतल का घनत्व पानी के घनत्व से कई गुना अधिक है। इसका कारण कटोरे की विशिष्ट आकृति है जिससे उसका औसत घनत्व पानी के घनत्व से कम होता है। औसत घनत्व किसी भी वस्तु आकृति पर निर्भर होता है।
वस्तु का आपेक्षिक घनत्व मात्रक (Unit) रहित राशि है। आपेक्षिक घनत्व से किसी पदार्थ की शुद्धता की जाँच की जा सकती है। उदाहरणस्वरूप सोने का आपेक्षिक घनत्व 19.3 होता है यदि किसी ठोस मुकुट का आपेक्षिक घनत्व इससे कम प्राप्त होता है तो स्पष्ट है कि मुकुट शुद्ध सोने का बना हुआ नहीं हो सकता, संभवतः उसमें अन्य धातु की मिलावट है।
दूध का आपेक्षिक घनत्व ज्ञात करने के लिए एक विशेष प्रकार का हाइड्रोमीटर काम में लेते हैं, जिसे लेक्टोमीटर कहते हैं।
Bouyancy And Archimedes Principle ( उत्प्लावकता एवं आर्किमिडीज नियम )

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