City architecture of Rajasthan:प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विस्तृत अध्ययन

City architecture of Rajasthan: राजस्थान का नगर स्थापत्य

राजस्थान का नगर स्थापत्य: प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विस्तृत अध्ययन

City architecture of Rajasthan:राजस्थान का नगर स्थापत्य भारतीय वास्तुकला का एक अनूठा और समृद्ध हिस्सा है, जो प्राचीन सभ्यताओं से लेकर राजपूत और मुगल काल तक के प्रभावों को दर्शाता है। यह लेख प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे UPSC, SSC, और राज्य-स्तरीय परीक्षाओं के लिए राजस्थान के नगर नियोजन और वास्तुकला के महत्वपूर्ण पहलुओं को कवर करता है। यहाँ हम ऐतिहासिक विकास, वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों, और प्रमुख नगरों जैसे जयपुर और बीकानेर की विशेषताओं पर चर्चा करेंगे।

City architecture of Rajasthan:ऐतिहासिक विकास

प्राचीन काल
  • सभ्यताएँ: गणेश्वर, कालीबंगा, आहड़, और नोह जैसी प्राचीन संस्कृतियाँ सिन्धु घाटी सभ्यता (मोहनजोदड़ो और हड़प्पा) के समकालीन थीं। ये नदियों के किनारे बसे सुनियोजित नगर थे, जो जल प्रबंधन और किलेबंदी में उन्नत थे।
  • महाभारत काल: विराटनगर (बैराठ) और पुष्कर जैसे नगरों का उल्लेख महाभारत में मिलता है, जो प्राचीन नगर नियोजन के उदाहरण हैं।
City architecture of Rajasthan:मौर्य और गुप्त काल
  • मौर्यकाल: बेडच नदी के किनारे मध्यमिका (नगरी, चित्तौड़ के पास) एक समृद्ध नगर था, जो तृतीय सदी ईसा पूर्व से छठी सदी तक फला-फूला। इसका भव्य नगर विन्यास इसकी समृद्धि का प्रमाण है।
  • गुप्त और गुप्तोत्तर काल (लगभग 4वीं से 6ठी सदी ई.) में राजस्थान के मेनाल, अमझेरा, डबोक और भरतपुर के आसपास के क्षेत्रों में नगरीय वैभव स्पष्ट रूप से देखने को मिला।
    इन क्षेत्रों में सुनियोजित बस्तियाँ, भवन निर्माण और स्थापत्य कला का सुंदर विकास हुआ, जो उस समय की सांस्कृतिक एवं स्थापत्य प्रगति का प्रमाण है।
City architecture of Rajasthan:राजपूत काल (7वीं से 13वीं सदी)
  • City architecture of Rajasthan:यह काल राजस्थान के स्थापत्य का स्वर्णकाल था। नगरों का निर्माण रक्षा और सुविधा को ध्यान में रखकर किया गया, जैसे पहाड़ों से घिरे क्षेत्रों या नदियों के किनारे प्राकृतिक परिखाओं वाले स्थान।
  • प्रमुख प्राचीन नगर: बैराठ, मेनाल, नागदा, राजोरगढ़, और नगरी।
  • राजपूत काल में नगर नियोजन का विशेष उत्कर्ष देखा गया। इस काल में शासकों ने जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर, उदयपुर, बूँदी, कोटा, और जयपुर जैसे नगरों की स्थापना की।
    City architecture of Rajasthan:ये नगर केवल राजनीतिक और प्रशासनिक केंद्र ही नहीं थे, बल्कि परिपूर्ण नगर की अवधारणा को भी साकार करते थे, जिसमें सुरक्षा, वास्तुशास्त्र, सौंदर्य और सामाजिक सुविधा का समावेश था।
City architecture of Rajasthan:नगर नियोजन के सिद्धांत
  • ज्यामितीय डिज़ाइन: राजस्थान के नगर नियोजन में वृत्त और वर्गाकार डिज़ाइन का उपयोग प्रमुख था।
  • वास्तु शास्त्र: हिन्दू शिल्प और ज्योतिष शास्त्र पर आधारित वास्तु शास्त्र के अनुसार, दस रेखाएँ पूर्व-पश्चिम और दस रेखाएँ दक्षिण-उत्तर खींचकर वर्गाकार ग्रिड बनाया जाता था। यह डिज़ाइन रक्षा और सौंदर्य दोनों को ध्यान में रखता था।
  • रक्षा-केंद्रित योजना: नगर पहाड़ों से घिरे या नदी किनारे बनाए जाते थे, जहाँ प्राकृतिक परिखाएँ रक्षा प्रदान करती थीं।
City architecture of Rajasthan:मुगल प्रभाव
  • मुगल-राजपूत समन्वय: मुगल शासन के साथ ही राजस्थान के किलों और महलों में मुगल और राजपूत शैली का सुंदर मिश्रण देखने को मिला।
  • विशेषताएँ: फव्वारे, जलाशय, बाग-बगीचे, दीवान-ए-खास, दीवान-ए-आम, चित्रशालाएँ, झरोखे, और रंग महल जैसे तत्व शामिल हुए।
  • महल डिज़ाइन: मर्दाना (पुरुषों के लिए) और जनाना (महिलाओं के लिए) महल अलग-अलग बनाए गए, जो गोपनीयता और कार्यक्षमता को दर्शाते थे।

City architecture of Rajasthan:प्रमुख नगरों का विवरण

बीकानेर
  • स्थापना: राव बीका ने 3 अप्रैल, 1488 को बीकानेर की स्थापना की।
  • नामकरण: मूल मालिक नायरा/नेरा की शर्त पर, जिसने भूमि दी, नगर का नाम बीकानेर रखा गया।
  • प्रारंभिक किला: विक्रम संवत् 1442 में राती घाटी में एक छोटा किला बनाया गया, जो वर्तमान में लक्ष्मीनाथजी मंदिर के सामने गणेशजी मंदिर के पास है।
  • प्राचीर और दरवाजे: शहर पाँच दरवाजों—कोट गेट, जस्सूसर गेट, नाथूसर गेट, शीतला गेट, और गोगा गेट—से घिरा है।
  • हवेलियाँ: बीकानेर की प्राचीन हवेलियों में लाल पत्थर की नक्काशी, जाली-झरोखे, और द्वार-गोखड़े कला प्रेमियों को आकर्षित करते हैं।
जयपुर
  • जयपुर की स्थापना 18 नवंबर, 1727 को कछवाहा वंश के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा की गई थी। यह नगर वास्तुशास्त्र आधारित नियोजन का उत्कृष्ट उदाहरण है।
  • नगर नियोजक: विद्याधर भट्टाचार्य, एक बंगाली वास्तुशास्त्री, ने नौ वर्गों के सिद्धांत पर जयपुर को डिज़ाइन किया।
  • डिज़ाइन: वास्तु शास्त्र, चीनी (केटोया), और बगदाद के नगर नियोजन से प्रेरित, शहर में सात दरवाजे और तीन प्रमुख चौपड़ (चौराहे) हैं।
  • दरवाजे: ध्रुव पोल, घाट गेट, न्यू गेट, सांगानेरी गेट, अजमेरी गेट, चाँदपोल गेट, और सूरजपोल गेट।
  • विशेषताएँ: जयपुर का परकोटा मास्को के क्रेमलिन से तुलनीय है, और इसका गुलाबी रंग इसे विश्व प्रसिद्ध बनाता है।

City architecture of Rajasthan:प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बिंदु

कालप्रमुख नगरविशेषताएँ
प्राचीनगणेश्वर, कालीबंगानदी किनारे, सुनियोजित बस्तियाँ
महाभारतविराटनगर, पुष्करऐतिहासिक उल्लेख
मौर्यमध्यमिका (नगरी)भव्य नगर विन्यास
गुप्तमेनाल, डबोकनगरीय वैभव
राजपूतबैराठ, जयपुर, बीकानेररक्षा-केंद्रित, वास्तु शास्त्र
मुगल प्रभावजयपुर, बीकानेरमुगल-राजपूत शैली, फव्वारे, बाग

राजस्थान का नगर स्थापत्य इतिहास, संस्कृति, और कला का एक जीवंत दस्तावेज है। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक युग तक, इसने रक्षा, सौंदर्य, और कार्यक्षमता का अनूठा समन्वय बनाए रखा है।

जयपुर और बीकानेर जैसे शहर न केवल स्थापत्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि विश्व पर्यटन के लिए भी आकर्षण का केंद्र हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए, इन नगरों के ऐतिहासिक और स्थापत्य महत्व को समझना आवश्यक है।

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City architecture of Rajasthan

City architecture of Rajasthan:प्रश्न और उत्तर

  1. प्रश्न: राजस्थान के नगर स्थापत्य की शुरुआत कब हुई थी?
    उत्तर: गणेश्वर, कालीबंगा, आहड़, और नोह जैसी प्राचीन संस्कृतियों से, जो सिन्धु घाटी सभ्यता के समकालीन हैं।
  2. प्रश्न: महाभारत काल में राजस्थान के कौन से नगर प्रसिद्ध थे?
    उत्तर: विराटनगर (बैराठ) और पुष्कर।
  3. प्रश्न: मौर्यकाल में राजस्थान का प्रमुख नगर कौन सा था?
    उत्तर: मध्यमिका (नगरी, चित्तौड़ के पास), जो तृतीय सदी ईसा पूर्व से छठी सदी तक समृद्ध था।
  4. प्रश्न: गुप्त काल में राजस्थान के किन क्षेत्रों में नगरीय वैभव था?
    उत्तर: मेनाल, अमझेरा, डबोक, और भरतपुर के आसपास के क्षेत्र।
  5. प्रश्न: राजपूत काल में नगर नियोजन का आधार क्या था?
    उत्तर: रक्षा और सुविधा, जैसे पहाड़ों से घिरे स्थान या नदी किनारे प्राकृतिक परिखाओं वाले क्षेत्र।
  6. प्रश्न: राजस्थान में किन शहरों की स्थापना राजपूत काल में हुई?
    उत्तर: जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर, उदयपुर, बूँदी, कोटा, और जयपुर।
  7. प्रश्न: राजस्थान के नगर नियोजन में वास्तु शास्त्र की क्या भूमिका थी?
    उत्तर: वास्तु शास्त्र के अनुसार, दस रेखाएँ पूर्व-पश्चिम और दस रेखाएँ दक्षिण-उत्तर खींचकर वर्गाकार ग्रिड बनाया जाता था।
  8. प्रश्न: मुगल प्रभाव ने राजस्थान की वास्तुकला को कैसे प्रभावित किया?
    उत्तर: मुगल-राजपूत शैली का समन्वय हुआ, जिसमें फव्वारे, जलाशय, बाग-बगीचे, और चित्रशालाएँ शामिल हुईं।
  9. प्रश्न: बीकानेर शहर का नाम कैसे पड़ा?
    उत्तर: राव बीका और मूल मालिक नायरा/नेरा के नाम से।
  10. प्रश्न: बीकानेर के किले की स्थापना कब हुई थी?
    उत्तर: विक्रम संवत् 1442 में राती घाटी में।
  11. प्रश्न: बीकानेर के प्रमुख दरवाजे कौन से हैं?
    उत्तर: कोट गेट, जस्सूसर गेट, नाथूसर गेट, शीतला गेट, और गोगा गेट।
  12. प्रश्न: जयपुर शहर को किसने स्थापित किया?
    उत्तर: महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने 18 नवंबर, 1727 को।
  13. प्रश्न: जयपुर के नगर नियोजन का आधार क्या था?
    उत्तर: नौ वर्गों का सिद्धांत, जो वास्तु शास्त्र, चीनी, और बगदाद के नगर नियोजन से प्रेरित था।
  14. प्रश्न: जयपुर के प्रमुख दरवाजे कौन से हैं?
    उत्तर: ध्रुव पोल, घाट गेट, न्यू गेट, सांगानेरी गेट, अजमेरी गेट, चाँदपोल गेट, और सूरजपोल गेट।
  15. प्रश्न: जयपुर को ‘गुलाबी नगर’ क्यों कहा जाता है?
    उत्तर: गुलाबी धौलपुरी पत्थरों के उपयोग और सौंदर्य के कारण।

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