Electromagnetic Induction

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Electromagnetic Induction विद्युत चुम्बकीय प्रेरण

आइये आज हम विद्युत चुम्बकीय प्रेरण ( Electromagnetic Induction ) के बारें में अध्ययन करेंगे

विद्युत चुम्बकीय प्रेरण

किसी विद्युत चालक (कुण्डली) और चुम्बक के बीच सापेक्ष गति के कारण कुण्डली में उत्पन्न विद्युत प्रभाव को विद्युत चुम्बकीय प्रेरण कहते हैं।

 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के कारण उत्पन्न विद्युत वाहक बल को प्रेरित विद्युत वाहक बल और उत्पन्न विद्युत धारा को प्रेरित विद्युत धारा कहते हैं।

विद्युत जनित्र

विद्युत जनित्र (डायनमों) एक युक्ति है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। यह विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर आधारित है।

विद्युत जनित्र दो प्रकार के होते हैं।

(1) प्रत्यावर्ती धारा जनित्र

(2) दिष्ट धारा जनित्र प्रत्यावर्ती

प्रत्यावर्ती विद्युत धारा

विद्युत धारा का मान समय के साथ निरन्तर परिवर्तित होता रहता है तथा निश्चित आवृत्ति से इसकी दिशा भी परिवर्तित होती रहती है।

प्रत्यावर्ती विद्युत धारा के उपयोग के उदाहारण

घरों में बल्ब, पंखे, हीटर आदि में प्रत्यावर्ती विद्युत धारा का उपयोग होता है।

दिष्ट विद्युत धारा

दिष्ट धारा की दिशा एवं परिमाण समय के साथ नहीं बदलती है।

दिष्ट विद्युत धारा के उपयोग के उदाहारण

शुष्क सैल ,कार बैटरी , दिष्ट विद्युत धारा का उपयोग होता है।

 विद्युत मोटर

विद्युत मोटर एक ऐसी मशीन है जिसके द्वारा विद्युत ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में रूपान्तरित करते हैं। विद्युत मोटर का उपयोग विद्युत रेलों के संचालन में, कुएँ से पानी निकालने में, विद्युत मिक्सी में, वाशिंग मशीन में, पंखों में, कूलर आदि में व्यापक रूप में होता है।

ट्रांसफॉर्मर

ट्रांसफार्मर दो प्रकार के होते हैं ।

(1) उच्चायी ट्रांसफार्मर (2) अपचायी ट्रांसफार्मर

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उच्चायी ट्रांसफार्मर

यदि द्वितीयक कुण्डली में घेरों की संख्या प्राथमिक कुण्डली से अधिक हो तो ऐसे ट्रांसफार्मर को उच्चायी ट्रांसफार्मर कहते हैं। ऐसे ट्रांसफार्मर का उपयोग निम्न विद्युत वाहक बल से उच्च विद्युत वाहक बल वोल्टता की धारा प्राप्त करने में किया जाता है।

अपचायी ट्रांसफार्मर

यदि द्वितीयक कुण्डली में घेरों की संख्या प्राथमिक से कम हो तो ऐसे ट्रांसफार्मर को  अपचायी ट्रांसफार्मर कहते हैं। इसका उपयोग उच्च वोल्टता को कम करने में किया जाता है। ट्रांसफार्मर का उपयोग केवल प्रत्यावर्ती धारा के लिए ही कर सकते हैं दिष्ट धारा के लिए नहीं।

अन्योन्य प्रेरण

एक कुण्डली में विद्युत धारा परिवर्तन करने पर पास में रखी दूसरी कुण्डली में गुजरने वाली फ्लक्स के मान में परिवर्तन होता है फलस्वरूप उसमें विद्युत वाहक बल प्रेरित होता है । इस क्रिया को अन्योन्य प्रेरण कहते हैं ।

विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

जब किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तब चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है, यही विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव है। इसकी खोज सन् 1819 में वैज्ञानिक ओरस्टैड ने की।

विद्युत चुम्बक

लोह पटलित क्रोड पर विद्युत रोधी तांबे के तार लपेटकर तारों में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर वह चुम्बक बन जाता है, उसे विद्युत चुम्बक कहते हैं।

विद्युत चुम्बक की शक्ति धारा के मान पर, घेरों की संख्या एवं धातु जिस पर कुण्डली लपेटी गई है, पर निर्भर करती है । नरम लोहे एवं लोहे के कुछ मिश्र धातु विद्युत चुम्बक को शक्तिशाली बनाते हैं।

विद्युत चुम्बक का उपयोग विद्युत घंटी, टेलीफोन, टेलीग्राफ आदि में तथा आँख एवं शरीर के किसी भाग में जब लोहे आदि के कण गिर जाते हैं उन्हें निकालने में चिकित्सालय में इसका उपयोग किया एवं धातु जिस पर कुण्डली लपेटी गई है, पर निर्भर करती है।

नरम लोहे एवं लोहे के कुछ मिश्र धातु विद्युत चुम्बक को शक्तिशाली बनाते हैं। विद्युत चुम्बक का उपयोग विद्युत घंटी, टेलीफोन, टेलीग्राफ आदि में तथा आँख एवं शरीर के किसी भाग में जब लोहे आदि के कण गिर जाते हैं उन्हें निकालने में चिकित्सालय में इसका उपयोग किया।

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