Madhorajpura fort in hindi
माधोराजपुरा का किला (स्थल दुर्ग), जयपुर
माधोराजपुरा जयपुर से लगभग 59 कि.मी. दक्षिण में दूदू से लालसोट जाने वाली सड़क पर फागी से लगभग 9 किमी में अवस्थित है। यह किला एक स्थल दुर्ग है
जिसके चारों ओर लगभग 20 फीट चौड़ी और 30 फीट गहरी परिखा है। माधोराजपुरा के किले के चारों तरफ नहर के अलावा दोहरा परकोटा है।
किले का नाम | माधोराजपुरा का किला |
स्थान | जयपुर |
निर्माता | महाराजा सवाई माधोसिंह प्रथम |
किले की श्रेणी | स्थल दुर्ग |
विशेषता | माधोराजपुरा क़स्बा बसाया |
माधोराजपुरा किला का निर्माण
माधोराजपुरा किला का निर्माण जयपुर के महाराजा सवाई माधोसिंह प्रथम ने मराठों पर विजय के उपलक्ष्य में करवाया था।
जयपुर की तर्ज पर बसे माधोराजपुरा व किले पर जोधपुर के महाराजा मानसिंह की पुत्री व जयपुर के महाराजा जगतसिंह की महारानी का बरसों तक अधिकार रहा।
लदाणा के भारतसिंह नरूका
माधोराजपुरा किला पर लदाणा के भारतसिंह नरूका ने अधिकार कर लिया।
धाय मां रूपा बढ़ारण
महाराजा जयसिंह तृतीय (Maharaja Jai Singh III) की धाय मां (Mother) रूपा बढ़ारण को इस किले में बंदी रखा गया था।
अमीर खां पिंडारी
अनेक रियासतों को झुकाने वाले अमीर खां पिंडारी जैसे योद्धा को भी नरुकों की ताकत के सामने माधोराजपुरा किले पर झुकना पड़ा था। हुआ यूं कि अमीर खां ने नरुकों की जागीर में फागी के पास लदाणा व लावा के सामंतों पर हमला कर दिया था। भारतसिंह लदाना व कामदार शंभू धाभाई अमीर खां की दो बेगमों व बच्चों को उठाकर माधोराजपुरा के किले में ले आए थे।
इस पर अमीर खां ने बड़ी सेना के साथ हमला कर किले पर एक साल तक घेरा डाले रखा। आखिर में अमीर खां ने 21 नवम्बर, 1816 को सुलह कर घेरा छोड़ा।
खास बात यह भी रही कि अमीर खां की दोनों बेगमों को लावा लदाना के नरुका राजपूतों ने बहन बनाकर किले में रखा था।
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