Ranthambore Fort In Hindi

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रणथम्भौर का दुर्ग सवाईमाधोपुर से लगभग 9 किलोमीटर दूर अरावली पर्वत मालाओं से घिरा हुआ एक पार्वत्य दुर्ग एवं वन दुर्ग है।

रणथम्भौर का वास्तविक नाम रणतपुर है अर्थात् रण की घाटी में स्थित नगर रण उस पहाड़ी का नाम है जो किले की पहाड़ी से कुछ नीचे है एवं थंभ  (स्तंभ) जिस पर यह दुर्ग बना है इसी से इसका नाम रणथम्भौर पड़ा

किले का नाम रणथम्भौर दुर्ग
स्थान सवाईमाधोपुर
निर्माता अजमेर के चौहान शासकों द्वारा (रणथानदेव / रंतिनदेव)
निर्माण का समय 8 वी शताब्दी में
किले की श्रेणीगिरि एवं वन दुर्ग
विशेषतासन 1301 ई. में प्रथम साका, राणा हम्मीर देव चौहान की आन- बान- शान के लिए प्रसिद्ध   

रणथम्भौर दुर्ग का निर्माण

रणथम्भौर का दुर्ग कानिर्माण 8 वी शताब्दी में अजमेर के चौहान शासकों द्वारा करवाया गया था।

एक मान्यता के अनुसार इसका निर्माण रणधान देव चौहान ने करवाया था। यह दुर्ग विषम आकार वाली सात पहाड़ियों से घिरा हुआ है।

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रणथम्भौर का दुर्ग बख्तरबंद दुर्ग

अबुल फजल ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि अन्य सब दुर्ग नंगे हैं, जबकि रणथम्भौर दुर्ग बख्तरबंद है। बीच-बीच में गहरी खाइयां (deep trenches) और नाले (drains) हैं।

ये सारे नाले चम्बल एवं बनास नदियों में जाकर मिलते हैं। रणथम्भौर दुर्ग ऊचें गिरिशिखर पर बना हुआ है।

इस तक पहुंचने के लिये संकरी घुमावदार घाटियों से होकर जाने वाले मार्ग से गुजरना पड़ता है।

रणथम्भौर दुर्ग के प्रवेश द्वार

नौलखा दरवाजा (प्रवेश द्वार) हाथी पोल, गणेश पोल, सूरजपोल, और त्रिपोलिया (अंधेरी दरवाजा) को पार करके दुर्ग में पहुंचा जाता है। इसके पास से एक सुरंग महलों तक गयी है।

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रणथम्भौर दुर्ग के महल एंव मंदिर

रणथम्भौर दुर्ग परिसर में हम्मीर महल, रानी महल, हम्मीर की कचहरी, सुपारी महल, बादल महल, जौंरा भौंरा, 32 खम्बों की छतरी, रनिहाड़ तालाब, जोगी महल, पीर सदरूद्दीन की दरगाह, लक्ष्मी नारायण मंदिर, जैन मंदिर तथा भारत प्रसिद्ध गणेश मंदिर स्थित है किले के पास में पदमला तालाब तथा अन्य जलाशय देखे जा सकते हैं

रणथम्भौर दुर्ग और राणा हम्मीर देव चौहान

रणथम्भौर दुर्ग राणा हम्मीर देव चौहान की शौर्यगाथा का साक्षी रहा है वह सन 1301 में अलाउद्दीन खिलजी से युद्ध करते हुए अपने शरणागत धर्म के लिए बलिदान हुआ

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